
Under the provisions of the CGST Act, 2017, and the corresponding Rules, registered taxpayers are now obligated to provide details of their bank accounts within 30
बिहार में जारी सियासी बवाल का अंत हो चुका है. नीतीश कुमार 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं और इसी के साथ नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है और फिर से एनडीए में वापसी कर चुके हैं. इससे यह भी साफ हो चुका है कि विपक्ष के 'INDIA' गठबंधन से भी वे बाहर निकल चुके हैं. नीतीश कुमार की राजनीति का यही अंदाज है. मुख्यमंत्री वही रहते हैं, बस गठबंधन बदलते रहते हैं. सुत्रों का कहना है कि ललन सिंह जेडीयू के विधायकों को तोड़कर RJD में मिलाने की फिराक में थे, यानी जैसा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में हुआ वही बिहार में भी होने वाला था. मगर जैसे ही नीतीश कुमार को इसकी भनक लगी उन्होंने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाकर खुद के हाथों में कमान ले ली. यानी जेडीयू को राजद के संग गठबंधन में खतरा दिख रहा था. दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव है और बिहार में JDU के 16 लोकसभा सांसद हैं, जिसे जेडीयू ने 2019 में NDA में शामिल होकर, मोदी लहर का फायदा उठाकर पाया था. अगर वह इस बार NDA में नहीं मिलते तो मोदी लहर में JDU को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही थी. एक नजर डालते हैं नीतीश ने कब-कब पलटी मार कर अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाई? साल 2000, मार्च का महीना था. जब नीतीश पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने पर बहुमत के अभाव में उन्हें जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा. पांच साल बाद नीतीश की फिर से सत्ता में वापसी हुई. बीजेपी के सहारे नीतीश कुमार ने सरकार चलाई और सुशासन बाबू के तौर पर उभरे. 2010 में भी बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन ने बिहार चुनाव जीता और नीतीश तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. सरकार चलती रही. मगर साल 2013 में जब भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मोदी को अनऑफिशियली पीएम फेस बना दिया, तो नीतीश कुमार ने विचारधारा और सिद्धांतों की दुहाई देते हुए एनडीए का साथ छोड़ दिया. इसके बार साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार कांग्रेस और RJD के साथ महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़कर फिर से मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2017 में ही तेजस्वी और लालू परिवार का मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने से महागठबंधन से रिश्ता तोड़ा और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और कुछ ही समय में बीजेपी के साथ समझौता कर NDA में शामिल हो गए और...एक और बार मुख्यमंत्री बने. 2020 के बिहार चुनाव में BJP के साथ मिलकर नीतीश ने चुनाव लड़ा. जीत भी गए और सीएम भी बने, लेकिन इस बार ये साथ 2 साल भी नहीं चला. नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में बीजेपी पर JDU को तोड़ने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया और फिर राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. फिर एक बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने. अब साल 28 जनवरी 2024 को नीतीश ने फिर से ये कहते हुए कि महागठबंधन सरकार की स्थिति ठीक नहीं थी और इंडिया गठबंधन में काम नहीं हो रहा था, अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. डिटेल में पूरी इनसाइड स्टोरी समझने के लिए वीडियो देखें.